Home Loan: से हम अपने आशियाना का सपना साकार तो कर सकते हैं लेकिन यह हमारे लिए कभी झंझट भरा हो जाता है। हर महीने टाइम पर ईएमआई का भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में इस झंझट से जल्द आजाद पाने के लिए हम प्री-पेमेंट के ऑप्शन को सेलेक्ट करते हैं। आपको बता दें कि कई बार प्री-पेमेंट के ऑप्शन सेलेक्ट करने पर पेनल्टी देनी पड़ती है। पढ़े पूरी खबर….
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Home Loan:
होम लोन (Home Loan) लेकर हम अपने घर के सपने को साकार कर सकते हैं। हालांकि, उसके बाद उसे सही समय पर चुकाना बड़ा काम लगता है। अगर लोन की किस्त टाइम से नहीं जाती है तो सिबिल स्कोर खराब होगा। इसके अलावा पेन्लटी भी देनी पड़ेगी। ऐसे में होम लोन की किस्त से छुटकारा पाने का एक अच्छा ऑप्शन प्री-पेमेंट होती है।
प्री-पेमेंट क्या है? (What is Loan Pre-Payment)
टाइम से पहले लोन को चुकाने के लिए लोनधारक के पास प्री-पेमेंट (Loan Pre-Payment) का ऑप्शन होता है। इसमें वह लोन के एक हिस्से का भुगतान करता है। इसको सेलेक्ट करने के बाद लोन की ईएमआई (Loan EMI) कम होती है और लोन राशि भी कम हो जाती है। यह जल्द से जल्द फाइनेंशियली फ्रीडम पाने का काफी अच्छा तरीका है।
अगर आप भी यह ऑप्शन सेलेक्ट करने का सोच रहे हैं तो बता दें कि बैंक इनपर चार्ज लगता है। हम आपको नीचे बताएंगे कि बैंक या वित्तीय संस्थान लोनधारक से कौन-से चार्ज लेता है।
प्री-पेमेंट पर लगती है पेनल्टी:
कई बैंक समय से पहले लोन के भुगतान को रोकने के लिए प्री-पेमेंट पर पेनल्टी लगाते हैं। यह पेनल्टी लोन की बकाया राशि का फीसकी या फिर फ्लैट फीस हो सकती है। वैसे तो यह पेनल्टी लोन के शुरुआती सालों में लगाई जाती है। अगर किसी व्यक्ति ने 20 साल के लिए लोन लिया और वह शुरुआती 3 से 5 सालों में प्री-पेमेंट का ऑप्शन सेलेक्ट करता है तब बैंक या वित्तीय संस्थान यह पेनल्टी लगाता है। दरअसल, बैंक अपनी कॉस्ट की भरपाई के लिए यह चार्ज लगाता है।
कई बैंक और वित्तीय संस्थान लोन प्री-पेमेंट के ऑप्शन सेलेक्ट करने पर कोई पेनल्टी नहीं लगाती है। ऐसे में लोन लेते वक्त आपको प्री-पेमेंट पॉलिसी के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो।
इन बातों का अवश्य रखें ध्यान:
आपको यह प्री-पेमेंट का ऑप्शन सेलेक्ट करने से पहले ईएमआई और सेविंग की कैलकुलेशन कर लेना चाहिए। आपको यह ध्यान देना चाहिए कि आप जो पेनल्टी दे रहे हैं वह आपके सेविंग से मिलने वाले इंटरेस्ट से ज्यादा है या नहीं। आप इसके लिए ऑनलाइन कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस बात का अवश्य ध्यान दें कि प्री-पेमेंट का असर आपके इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) और सेविंग (Saving) पर कोई असर न डालें। अगर यह आपके इमरजेंसी सेविंग पर असर डालता है तो भविष्य में आपको वित्तीय परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
आपको हमेशा इस चीज का ध्यान रखना चाहिए कि जो फंड आप प्री-पेमेंट के लिए इस्तेमाल कर रहें वह कहीं और निवेश करने पर बेहतर रिटर्न दे सकता है।
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