Technology Budget : दुनिया में दिन प्रति दिन टेक्नोलॉजी बढाती चली जा रही है अउ आने वाले टाइम में केवल टेक्नोलॉजी का ही जमाना रहने वाला है | इसी के साथ अब दिन प्रति दी AI की भी टेक्नोलॉजी बढाती चली जा रही है | इस टेक्नोलॉजी के AI के ज़माने ने सबकुछ बदलकर रख दिया है जिसकी वजह से हम इस नई AI टेक्नोलॉजी को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है | क्योंकि दुनियाभर की टेक्नोलॉजी बहुत ही आगे बढाती चली जा रही है |
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Technology Budget :
ऐसी कौन सी चीज है जो AI के द्वारा नहीं किया जा सकता इसी की वजह से AI और भी ज्यादा पॉपुलर होता चला जा रहा है | अगर हमें देश को आगे बढ़ाना है तो टेक्नोलॉजी को बहुत ज्यादा प्रमोट करना होगा और टेक्नोलॉजी पर बहुत ही बिस्तार से काम करने की जरुरत है ऐसे में आइए हम जानतें हैं की सरकार का क्या Technology Budget है और कैसे है |
अंतरिम बजट में टेक्नोलॉजी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक 1 लाख करोड़ रुपए का कॉर्पस तैयार करने की घोषणा की गई थी | इसके जरिए डीप-टेक वेंचर्स को फाइनेंस किया जा रहा है | लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि इतने आवंटन के साथ क्या भारत दुनियाभर के टेक सेक्टर की रफ्तार की बराबरी कर पाने में सक्षम होगा?
क्यों है डीप-टेक को सरकार की जरुरत :
डीप-टेक में कुछ ऐसे सेक्टर शामिल हैं जो रिसर्च, इंजीनियरिंग, और डेवलोपमेन्ट इनोवेशन से काफी ज्यादा प्रेरित है | इस टेक्नोलॉजी सेक्टर में उनको शामिल किया गया है जो अभी तन मेनस्ट्रीम का हिस्सा नहीं बन पाए हैं इस तरह के इनोवेशन को करने के लिए बहुत हिओ ज्यादा बड़े पैमाने पर फंड की जरुरत पडती हैं क्यों की market में आने से पहले डीप टेक का एक लम्बा फेज होता है |
In the full budget In JULY 2024…
Confidence level 🔥🔥🔥#Budget2024 pic.twitter.com/TDNXyd7nlh
— The Analyzer (News Updates🗞️) (@Indian_Analyzer) February 1, 2024
देश के लिए यह टेक्नोलॉजी काफी महत्वपूर्ण है | इस दौरान विकसित अर्थव्यवस्थाएं किसी दूसरे देश पर न निर्भर रहना पड़े इस लिए वह ज्यादा निवेश करतीं हैं | जहाँ वेंचर कैपिटल के इंवेस्टमेंट्स का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, इसलिए फॉउंडेशनल और फंडामेंटल डीप-टेक इंडस्ट्रीज को विकसित करने के लिए सरकारी सपोर्ट की बहुत ज्यादा जरुरत पड़ती है |
कौन से सेक्टर को फायदा हो सकता है :
भारत के इस कदम से जिन भी सेक्टर को ज्यादा फायदा मिलाने की संभावना है उनमें उनमें सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और हाई टेक मैन्युफैक्चरिंग सहित एविएशन, क्लाइमेट-टेक, मोबिलिटी, बायोटिक्स और अंतरिक्ष जैसे पॉवरफुल सेंटर को शामिल किया गया है | इस फंड का लक्ष्य भारत की ‘स्टार्टअप अर्थव्यवस्था’ है, क्योंकि घरेलू वेंचर कैपिटलिस्ट बड़े पैमाने पर शुरुआती चरण की फंडिंग की पेशकश करते हैं |
केंद्रीय IT मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बजट के बाद कहा है की जिससे पहले की अन्य डीप-टेक सेक्टर्स को फंड्स तक पहुंच प्राप्त ही, केंद्र शुरुआत में कुछ स्ट्रेटेजिक सेक्टर्स पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देगा |
इंडिया का कितना बड़ा फंड :
अगर हम बात करें इंडिया के पुरे बजट की तो यह फंड 1 ट्रिलियन रुपए है. वहीं पर अगर हम दुनिया के और सभी कॉन्ट्री की बात की जाय तो, नवंबर में यूरोपीय इनोवेशन काउंसिल के द्वारा बताया गया है क बीते पिछले साल उसने डीप-टेक वेंचर्स को तकरीबन 1 बिलियन यूरो, लगभग 19,000 करोड़ रुपए जारी किये गए थे |
अमेरिका डीप टेक फंड के बिना भी आगे हैं | गोल्डमैन सैक्स ने 2019 तक फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट खर्च सालाना 120 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा होने की संभावना है | चीन के वित्त मंत्रालय के द्वारा पता चला है अकेले ही 2022 में डीप-टेक के लिए 273 बिलियन डॉलर की बहुत ही बड़ी फंडिंग होने की संभावना है |
क्या यह फंड पर्याप्त है :
एक रिपोर्ट के द्वारा बताया गया है की
यह फंड काफी बड़ा है और यह फंडामेंटल AI मॉडल, सेमीकंडक्टर डिजाइन, क्वांटम कम्युनिकेशन, सिक्योरिटी और स्पेस सोल्यूशंस के विकास को आगे बढ़ावा देने में मददगार हो सकता है |
हालांकि बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि फंड को कैसे एक्सेसिबल बनाया जाता है| डीप-टेक स्टार्टअप को आगे बढ़ने में बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है |